दधिमाता
गोठ मांगलोद जिले में स्थित सबसे प्राचीन मंदिर गोठ तथा मांगलोद गंवो के बीच में स्थित है जो दाहिमा (दाधीच) ब्रह्माणों की कुलदेवी को समर्पित हैं। दधिमाता मंदिर के नाम से विख्यात यह मंदिर प्रतिहार कालीन स्थापत्यकला का अनुठा उदाहरण है। मंदिर पूर्वाभिमुखी तथा शिखरवन्द है। इस मंदिर से प्राप्त शिलालेख को मारवाड़ क्षेत्र से प्राप्त शिलालेखों में सबसे प्राचीन माना जाता है। इस लेख पर अंकित तिथी ''संवत षटषतेषू 289 श्रावण बदी 13'' को माना जाता है। तदनुसार यह तिथी 16 जुलाई 608 मानी जाती है। यह मंदिर प्रतिहार नरेश भोजदेव प्रथम के समय में बना हुआ माना जाता है। समस्त प्राणियों को अभय प्रदान करने के लिए तथा विकटासुर राक्षस का वध करने के लिए योगमाया महालक्ष्मी भगवती नारायणी के रूप में महर्षि अथर्वा के घर में नारायणी के रूप में प्रकट हुई थी। देवी के भय से विकटासुर, दधिसागर में छिप गया, इस पर भगवती ने दधिसागर मन्थन कर माघ शुक्ला अष्टमी को संध्याकाल में विकटासुर का वध किया। इसी वजह से वही तिथि जयाष्टमी के नाम से विख्यात है। ब्रह्माजी ने दधिसागर का मन्थन कर विकटासुर का वध करने वाली अथर्वा नन्दिनी का नाम दधिमथी रखा तथा महर्षि अथर्वा को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। सृष्टिकर्ता ने भगवती दधिमथी को अपने भाई के वंश की रक्षा करते हुए उनकी कुलदेवी होने का आशीर्वाद दिया। अथर्वापुत्र महर्षि दधिची द्वारा विश्वकल्याण एंव धर्म की रक्षा हेतु दैत्यराज वृत्रासुर के वध के लिए अपनी अस्थियां प्रदान कर देने के बाद दधिची पत्नी जो कि गर्भवती थी सती होने पर तत्पर हुई। तब देवताओं ने स्मरण कराया कि आपके गर्भ में जो ऋषि का तेज है वह रूद्रअवतार है पहले आप उसे उत्पन्न करें। इस पर ऋषि पत्नी ने अपना गर्भ निकाल कर आश्रम में ऋषि द्वारा स्थापित अश्वत्थ वृक्ष को सौंपा भगवती दधिमथी से प्रार्थना की कि आप हमारी कुलदेवी है इस बालक की रक्षा करें। कुलदेवी दधिमथी के सानिध्य में पीपलवृक्ष के नीचे पलने के कारण महर्षि दधिची के पुत्र का नाम पिपलाद हुआ। भगवान विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र से सती देह को खण्डित करने पर जहां, जहां सती के शरीर के अंग गिरे वे स्थान पवित्र शक्ति पीठ कहलाये। भगवती सती का कपाल पुष्कर क्षेत्र से 96 कि.मी. दूर उत्तर में गोठ मांगलोद नाम के दो गांवों के बीच में गिरा जो कपाल सिद्ध पीठ नाम से प्रसीद्ध हुआ। कपाल पीठ तीर्थ गोठ मांगलोद नागौर के पूर्व में 44 कि.मी. दूर जायल तहसील में है, जहां रेल द्वारा डीडवाना या नागौर उतरकर बस अथवा टेक्सीयों के द्वारा जाया जाता है।