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पारीक ब्राह्मणों के निम्न गौत्र हैं। पारीक्ष संहिता पृष्ठ 42 एवं पारीक्ष ब्राह्मणोत्पत्ति, पृष्ठ 25 में गौत्रों की संख्या 12 बताई गई है। तथा निम्न गौत्रों के अतिरिक्त 1 और गौत्र मुद्गल गौत्र अंकित किया गया है।
हमारे निम्न अंवटक या नख हैं, और उनकी शाखायें निम्न हैं
1. व्यास
2. जोशी
3. तिवाड़ी
4. मिश्रा(बोहरा)
09 शाखायें
5. पुरोहित
04 शाखायें
6. उपाध्याय
13 शाखायें
7. कौशिक भट्ट
01 शाखायें
8. पाण्डेय
9. द्विवेदी
कुल
103 शाखायें
गौत्रानुसार शाखायें
भारद्वाज गौत्र में 27 शाखायें हैं
1. गोलवाल
व्यास
2. बामन्या
3. ओजाया
4. पाठक
5. ओहोरा
6. कौथल्या
पाण्डेय
7. पोम
8. अगरोटा
त्रिपाठी
9. बाबर
10. बुराट
11. वय्या
12. कीवसाण्या
13. भलगोत
मिश्र (बोहरा)
14. नगलान्या
15. डसाण्या
जोशी
16. पुलसाण्या
17. जहेला
18. बाकलाण्या
19.विणासरा(विणसरा)
20.लाडणवां
इस प्रकार भारद्वाज गौत्र में 27 शाखायें हैं
कश्यप गोत्र की 23 शाखायें हैं
इस प्रकार कश्यप गोत्र में 23 शाखायें हैं
वत्स गौत्र में 15 शाखायें हैं
इस प्रकार वत्स गौत्र में 15 शाखायें हैं
उपमन्यू गौत्र में 2 शाखायें हैं
इस प्रकार उपमन्यू गौत्र में 2 शाखायें हैं
मत्स्य तथा वोधायन के मत से इनके इन्द्रप्रमद, वशिष्ठ, भरद्वसु - तीन प्रवर हैं।
कौशिक गौत्र में 10 शाखायें हैं
इस प्रकार कौशिक गौत्र में 10 शाखायें हैं
कौशिक गौत्र का
शुक्ल यजुर्वेद
कौशिक गौत्र के औदल्य, देवरात, विश्वमित्र - तीन प्रवर हैं।
गर्ग गौत्र की 6 शाखायें हैं
इस प्रकार गर्ग गौत्र की 6 शाखायें हैं
गर्ग गौत्र का
गौतम गौत्र की 5 शाखायें हैं
इस प्रकार गौतम गौत्र की 5 शाखायें हैं
शाण्डिल्य गौत्र में 3 शाखायें हैं
तिवड़ी (त्रिपाठी)
इस प्रकार शाण्डिल्य गौत्र में 3 शाखायें हैं
शाण्डिल्य गौत्र का
असित, देवल, शाण्डिल्य - तीन प्रवर हैं।
कोत्स गौत्र में 3 शाखायें हैं
इस प्रकार कोत्स गौत्र में 3 शाखायें हैं
पराशर गौत्र की 2 शाखायें हैं
इस प्रकार पराशर गौत्र की 2 शाखायें हैं
पराशर गौत्र का
भार्गव गौत्र में 7 शाखायें हैं
इस प्रकार भार्गव गौत्र में 7 शाखायें हैं
भार्गव गौत्र का
मुद्गल गौत्र
मुद्गल गौत्र के पांच प्रवर है
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