शोभाराम जी किकरालिया

शोभारम जी खण्‍डेला से किकरालिया आये थे। आप खंतडिया पुरोहित थे। आप दो भाई थे। खण्‍डेला के बिहारी जी वाले (नलहाला) भी इन्‍हीं परिवार में से है। दोनों भाईयों में जब बंटवारा हुआ तो शोभाराम जी ने जमीन ले ली तथा ग्राम किकरालिया बसाकर उसमें रहने लगे (ग्राम का नाम किकरालिया पड़ने का आधार ग्राम के बुजुर्ग श्री केदार जी पुरोहित (85) ने यह बताया कि यहां कीकर (बबूल) के पेड़ काफी थे अत: उसी के आधार पर इसका नाम किकरालिया पड़ा) तथा दूसरे भाई नकद, जेवरात, मकान आदि रखकर खण्‍डेला में ही रहे। शोभाराम जी के पास काफी जमीन थी, उक्‍त जमीन खण्‍डेला राजाजी द्वारा लगभग 400 वर्ष पूर्व, तीर्थ स्‍थान पर शोभारामजी के पूर्वजों को दी थी। (शोभाराम जी करमैती बाई के पिता के वंशजों में से थे)। इसके अतिरिक्‍त शोभारम जी एवं इनके वंशजों को सीकर राव राजा जी ने 250 बीघा, नेवटा के ठाकुर ने 251 बीघा व अन्‍य ठाकुरों ने भी तीर्थ स्‍थानों पर भूमि प्रदान की। ऐसा भी बताया गया है कि शोभाराम चूंकि बिहारी जी के अनन्‍य भक्‍त थे (उक्‍त बिहारी जी की मूर्ति करमैती बाई ने अपने पिता को दी थी, जो खण्‍डेले के बिहारी जी के मंदिर में रही) चमत्‍कारी पुरुष बताए जाते हैं, इसी आधार पर उपरोक्‍त जमीन के अतिरिक्‍त जयपुर महाराजा ने भी आपको भूमि प्रदान की। प्राप्‍त सभी भूमि, तीर्थ स्‍थानों पर दी गई।

किकरालिया में आपने अपने कुल इष्‍ट देव बिहारी जी के मंदिर की स्‍थापना की तथा राधिका जी की प्रतिमा की भी स्‍थापना की। कुछ वर्ष पूर्व उक्‍त दोनों प्रतिमाएं मंदिर से चोरी हो गई, जिनके स्‍थान पर नवीन विग्रह, लगभग 10 वर्ष पूर्व में स्‍थापित किए गए तथा अभी हाल ही (20 मई, 1996) में मंदिर का जीर्णोद्धार रैवासा के महन्‍त महाराज की प्रेरणा से जन-सहयोग द्वारा किया गया है, जिसमें प्रमुख सहयोग आपके वंशज श्री विद्याधरजी पुरोहित का रहा है।

ADS BY PAREEKMATRIMONIAL.IN
Diamond Member

Maintained by Silicon Technology