राजस्थान में चुरू जिले में स्तिथ छोटा सा एक गाँव, “साहवा“ जिसने पारीक समाज को एक जुझारू सेवक दीया | स्व. सुगनाराम जी पांडिया एवं स्व. लक्ष्मी देवी पांडिया के घर दिनांक 15 अप्रेल 1969 को एक बालक का जन्म हुआ | कृषक पिता की इस संतान का नाम विधाधर रखा गया | जन्म से ही चंचल इस बालक को ईश्वर ने कई विलक्ष्ण प्रतिभाओं से संवारा | बाल्यकाल से ही मृदुभाषी रहे इस बालक में नेत्रित्व करने की विलक्ष्ण प्रतिभा उभरने लगी | साहवा के सीनियर हायर सेकेंडरी स्कुल से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त कर उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु सरदारशहर को प्रस्थान किया | सरदारशहर के सेठ बुधमल दुगड़ कोलेज से सन 1989 में स्नातक की शिक्षा पूर्ण की | शिक्षा पूर्ण होने के बाद आपने दिल्ली को अपनी कर्मभूमि के रूप में चुना | इसी दौरान 17 जून 1990 को आपका विवाह राजस्थान में बीकानेर जिले के ग्राम कालू निवासी श्रीमान बंशीधर तिवाड़ी एवं स्व. गौरजा तिवाड़ी की सुपुत्री सुश्री सुमित्रा के साथ संपन्न हुआ | विवाह के कुछ वर्षो पश्चात् आपके आंगन में नन्ही किलकारियाँ सुनाई देने लगी | आपको पुत्ररत्न आजाद एवं कन्याधन भावना प्राप्त हुए |
आपने कर्मभूमि के लिए दिल्ली को चुना | दिल्ली आकर आपने सन 1990 से 2003 तक निजी फर्म में नौकरी की | सन 2003 से आपने अपना मुद्रण (प्रिंटिंग) का व्यवसाय शुरू किया एवं देखते ही देखते व्यवसाय की नई बुलंदियों को छूने लगे | अपने जुझारूपन एवं लोगो के संपर्क में रहने की आदत ने आपको सबका चहेता मुद्रक (प्रिटर) बना दिया | आज आपके पास दिल्ली के आलावा नागालैंड, आसाम, पश्चिम बंगाल, बिहार, राजस्थान, तेलन्गाना, आंध्रप्रदेश इत्यादि राज्यों से मुद्रण (प्रिंटिंग) का कार्य बड़ी मात्र में आता है | आपने न सिर्फ व्यवसाय के कीर्तिमान स्थापित किया अपितु सामाजिक क्षेत्र में आपके द्वार किये गए कार्यो को कभी भुलाया नहीं जा सकता | दिल्ली के वयोवृद्ध समाजसेवक श्रीमान शिवदत्त जी पुरोहित ने आपमें समाजसेवा करने की ऐसी चिंगारी जलाई जिसने आज शोले का रूप ले लिया | आपके सामाजिक जीवन को निखारने में शिवदत्त जी पुरोहित का बहुत बड़ा योगदान रहा | दिल्ली में रहने वाले अधिकतर पारीक बंधुओ को आप निजीरूप से जानते है | दिल्ली में प्रवासी शायद ही कोई ऐसा पारीक बंधू हो जिसके साथ आप विपदा के समय खड़े नहीं हुए है | आप समाज सेवा को प्राथमिकता देते हुए व्यवसाय को दुसरे स्थान पर रखते है |
सन 2004 के दौरान आपका सम्पर्क दिल्ली के प्रमुख उद्योगपति श्रीमान बाबूलाल पारीक से हुआ | आपने श्रीमान बाबूलाल पारीक को समाज में हो रही सामजिक गतिविधियों से अवगत कराया एवं उनको भी सामाजिक कार्यो में सक्रीय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया | वक्त से साथ-साथ आपने समाज उत्थान के कार्यो को अपने जीवन का एक मात्र उदेश्य बना लिया, जिसकी पूर्ति हेतु आपने समाज के वरिष्ट बंधुओ एवं भामाशाह श्री कुंजबिहारी पुरोहित (अहमदाबाद), श्री हरिनारायण पारीक (टाटानगर), श्री शिवदत्त पुरोहित (दिल्ली), श्री रघुनाथ प्रसाद तिवाड़ी (जयपुर), श्री बाबूलाल पारीक (दिल्ली), श्री संजय शर्मा (दिल्ली), श्री पवन पारीक (नोखा), श्री रितेश सी. पुरोहित (जयपुर) इत्यादि से संपर्क साधकर समाज के उत्थान कार्यो में उनसे भरपूर सहयोग प्राप्त किया |
आप अपने क्रन्तिकारी विचारधारा के लिए जाने जाते है | आपने कठिन परिश्रम कर समाज के युवाओं को एकजुट किया एवं साथ-साथ ही युवाओं की एक लम्बी फोज खड़ी कर ली | आपने दिल्ली में पारीक भवन बनाने के लिए दिन-रात एक कर दिया | पारीक भवन की भूमि खरीदने के लिए सन 2007 में आपने वरिष्ठ एवं युवा पारीक सदस्यों के साथ मिलकर अखिल भारतवर्षीय पारीक सम्मलेन का सफल आयोजन किया, जो की अपनी तरह का दिल्ली में प्रथम आयोजन था | इस आयोजन के माध्यम से पारीक भवन दिल्ली के भूमि क्रय हेतु धनराशी एकत्र की | सन 2007 में आल इंडिया पारीक महासभा एवं महर्षि पराशर फाउंडेशन में गठन में आप की अहम् भूमिका रही | आपके सहयोग से सन 2011 में पुन: अखिल भारतवर्षीय पारीक सम्मलेन का सफल आयोजन किया गया | इस आयोजन के माध्यम से पारीक भवन दिल्ली को बनाने के लिए आवश्यक धनराशी एकत्रीत की गई | आपके क्रन्तिकारी विचारों से उत्पन्न इन दोनों संस्थाओ के माध्यम से जरूरतमंद बच्चों को छात्रवृति एवं गरीब बच्चों को नोट-बुक (लीखने की कापी) का वितरण के कार्यक्रम को पारीक समाज ने बहुत सराहा है | भारतवर्ष में विभिन्न गौशाला, छात्रावास एवं अनेकानेक पारीक भवन के निर्माणकार्य तथा संरक्षण के कार्यों में इन दोनों संस्थाओ द्वारा आर्थिक मदद की जाती रही है | समाज ने आपमें नेतृत्व करने की खूबियों को पहचाना एवं आपको समाज में विभिन्न पदों पर सेवा करने का मौका दीया | आपने हमेशा दी गई जिमेदारियो को बखूबी निभाया | समस्त समाज को आप पर गर्व है |