राजस्थान में सीकर जिले में खण्डेला कस्बे में स्तिथ छोटा सा एक गाँव, “तिवाड़ी की ढाणि “ जिसने पारीक समाज को एक रत्न दीया | स्व. मूंगालाल तिवाड़ी एवं श्रीमती बसंती देवी के घर दिनांक 8 फरवरी 1949 को एक बालक का जन्म हुआ | माता श्रीमती बसंती देवी ने अपने इस बालक को स्नेह पूर्वक “बाबू” पुकारा | जन्म के समय से ही यह बालक हसमुख और सरल स्वभाव का था | बाबू के इसी सरल स्वभाव के कारण आस पड़ोस के लोग उससे अत्यधिक स्नेह करने लग गए | वक्त गुजरता गया, समय के साथ-साथ बाबू ने अपने ग्राम से स्कुल शिक्षा प्राप्त की विलक्ष्ण बुद्धि के इस प्रतिभाशाली बालक ने सन 1966 में राजस्थान के झुंझुनू जिले के छपोली ग्राम से हायर सेकेंडरी की श्रेष्टतम अंको से उत्तीर्ण होकर पढाई पूरी की | अब अपने पेरों पर खड़े होने का जूनून बाबू पर इस कदर हावी हुआ की उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए आसाम जाने का निर्णय लिया | उस समय आसाम को काले जादू का प्रमुख स्थान माना जाता था परन्तु बाबू ने पढाई के लिए इन सब की चिंता नहीं की | आसाम के गुवाहाटी शहर को उन्होंने अपनी कर्मभूमि बनाने का दृढ़निश्चय कर लिया था | बाबू ने गुवाहाटी पहुंचकर आजीविका के लिए निजी फर्म में नौकरी की एवं संध्या कालीन कॉलेज से पढाई कर सन 1969 में बी.कॉम. की शिक्षा पूरी की | पढाई के दौरान नोकरी करते हुए बाबू ने अनेको व्यापारियों से मधुर सम्बन्ध स्थापित कर लिए एवं अब वे उनके लिए रेलवे से क्षतिपूर्ति दावा के निपटारे का काम करने लगे | बहुत ही कम समय में इन्होने अपना काम बिहार के कटिहार शहर से मणिपुर के इम्फाल शहर तक फेला लिया | भारतीय थल सेना (आर्मी) एवं भूटान सरकार ने भी रेलवे के क्षतिपूर्ति दावो के निपटारे के लिए इनको अपना प्रतिनिधि न्युक्त किया | इसी दौरान 17 जून 1971 को आपका विवाह राजस्थान में सीकर जिले के ग्राम पुरोहिता की ढाणि निवासी स्व. दीनदयाल पारीक की सुपुत्री गायत्री के साथ संपन्न हुआ | विवाह के कुछ वर्षो के पश्चात् आपके आँगन में नन्ही किलकारियाँ सुनाई देने लगी | आपको माँ सरस्वती के आशीर्वाद के साथ-साथ माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्रियंका, रुचिका, रेणुका एवं सारिका के रूप में प्राप्त हुआ | अपने अनुज के असामयिक निधन के बाद उनके दोनों पुत्रो विवेक एवं रवि को अपने पास रखकर ना केवल होनहार बनाया बल्कि वे दोनों आज बतोर उत्तराधिकारी उनके विशाल कारोबारी साम्राज्य को संभाला भी रहे है |
सन 1977 में आप गुवाहाटी में दाल-चावल के थोक व्यापार में उतरे और अपनी कठोर मेहनत से इस व्यवसाय में नए कीर्तिमान स्थापित किये | आप की प्रतिभा को पहचानते हुए कामरूप चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स ने जॉइंट सेक्रेटरी (संयुक्त सचिव) के पद की अहम् जिमेदारि सोंपी | आप ने जीवन में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा |
अपने व्यवसायिक साम्राज्य को और बढ़ाने के लिए सन 1980 में आपने दिल्ली को अपनी कर्मभूमि के रूप में चुना 1980 से 1997 तक दाल-चावल के थोक व्यापारी के रूप में काम किया | सन 1998 में आपने बासमती चावल की पेकिंग एवं ब्रांडिंग का काम शुरू किया | आपके ख्यातिप्राप्त ट्रेडमार्क लखी भोग एवं किचन खजाना ने झारखंड, बिहार, बंगाल, आसाम, मेघालय, नागालैंड एवं त्रिपुरा के बाजार में तहलका मचा दीया | इन्ही ट्रेडमार्को के बदोलत आपने वित्त वर्ष 2014-2015 में 115 करोड़ की कुल बिक्री के आंकड़े को पार किया |
सन 2004 के दौरान आपका सम्पर्क पारीक समाज से समर्पित युवा कार्यकर्ता श्री विधाधर पारीक एवं श्री सुशिल तिवाड़ी से हुआ | इन के संपर्क में आने के बाद आपने भी अपना अधिकतम समय पारीक समाज के उत्थान के लिए लगा दीया | इस कार्य के लिए आपने समाज के वरिष्ट बंधुओ एवं भामाशाह श्री कुंजबिहारी पुरोहित (अहमदाबाद), श्री हरिनारायण पारीक (टाटानगर), श्री शिवभगवान शर्मा (गुवाहाटी), श्री रघुनाथ प्रसाद तिवाड़ी (जयपुर) इत्यादि से संपर्क साधकर समाज के उत्थान कार्यो में उनसे भरपूर सहयोग प्राप्त किया |
आप अपने क्रन्तिकारी विचारधारा के लिए जाने जाते है | आपने दिल्ली में पारीक भवन बनाने के लिए दिन-रात एक कर दिया | पारीक भवन की भूमि खरीदने के लिए सन 2007 में आपने अखिल भारतवर्षीय पारीक सम्मलेन का सफल आयोजन किया, जो की अपनी तरह का दिल्ली में प्रथम आयोजन था | इस आयोजन के माध्यम से आपने लगभग 80 लाख रूपए की धनराशी एकत्र की | सन 2007 में आपके सुझाव पर आल इंडिया पारीक महासभा एवं महर्षि पराशर फाउंडेशन की नीव रखी गई | सन 2011 में आपने पुन: अखिल भारतवर्षीय पारीक सम्मलेन का सफल आयोजन किया एवं लगभग 1 करोड़ 15 लाख रुपये की धनराशी महर्षि पराशर फाउंडेशन के द्वारा निर्मित पारीक भवन, दिल्ली के लिए एकत्रीत की | आपके विचारों से उत्पन्न इन दोनों संस्थाओ ने बिखरे हुए फूलों को माला में पिरोने का काम किया है | दोनों संस्थाओ के माध्यम से छात्रवृति के कार्यक्रम को पारीक समाज ने बहुत सराहा है | विभिन्न गौशाला, छात्रावास एवं अनेकानेक पारीक भवन के निर्माण तथा संरक्षण में इन दोनों संस्थाओ द्वारा मदद की जाती रही है | समाज ने आपमें नेतृत्व करने की खूबियों को पहचाना एवं आपको समाज के विभिन्न श्रेस्ठ पदों पर सेवा करने का मौका दीया | आपने हमेशा दी गई जिमेदारियो को बखूबी निभाया | आपने लगभग दस वर्ष तक पारीक परिषद् दिल्ली के अध्यक्ष पद पर रहकर समाज को सेवाए दी | गत आठ वर्षो से आप महर्षि पराशर फाउंडेशन के ट्रस्टी इन्चार्ज के गरिमामय पद को सुशोभित कर रहे है | सन 2008 में आपने दिल्ली ग्रेन मर्चेन्ट्स एसोसिएशन के द्विवार्षिक चुनाव जीतकर उपाध्यक्ष बने | कोरपोरेट फण्ड विप्र फाउंडेशन ने आपको चेयरमेन के पद की जिमेदारी दी | देल्ही ग्रेन एक्सपोर्ट्स एसोसिएशन, नया बाज़ार, दिल्ली के अध्यक्ष पद पर आप अपनी सेवाए दे रहे हैं | आप गुरु प्रेरणा सेवाश्रम के मुख्य संरक्षक रहे एवं सेवाश्रम का मजबूत ढांचा खड़ा करने में आपका पूर्ण सहयोग रहा है | अखिल भारतवर्ष पारीक समाज चेरिटेबल ट्रस्ट, हरिद्वार में आप ट्रस्टी है | सन 2015 में आप को आल इंडिया पारीक महासभा के अध्यक्ष पद की जिमेदारी सोंपी गई | आपके द्वारा समाज विकाश के इतने कार्यो को किया गया जिनको लेखनिवद करना (लेखक) के बूते से बाहर की बात है | उम्र के इस पड़ाव पर भी आप भारतवर्ष में घूम-घूम कर पारीक भवन, पारीक छात्रावास इत्यादि बनाने में प्रयत्नशील है | समस्त पारीक समाज को आप पर गर्व है |