सफलता की कुंजी

किसी कार्य मे असफल होने पर भाग्य को दोषी न मानकर पूरा शक्ति व निष्ठा के साथ अपने लक्ष्य की प्राप्ति मे जुट जाइये। अपनी आंख अर्जुन का भांति सिर्फ अपने लक्ष्य की ओर केन्द्रीत रखिये।

सफलता प्राप्त करने के लिए एकाकीपन, भय, संकोच, भावुकता तथा हीनभावना जैसे अवगुणो को अपने पास फटकने भी ना दे।


अपनी लगन , इच्छा व परिश्रम पर निराशा व आलस्य का छाया ना पडने दे।


सफलता पाने के लिये समय का महत्व समझे । उसका एक.एक पल उपयोग मे लाये।


हर इंसान के जीवन मे एक बार सुअवसर दस्तक देता है उस क्षण को पहचान कर पकडने का प्रयत्न करे। यदि एक बार सफल न हो पाए तो पछताकर या रो कर समय बर्बाद न करे।नये अवसर आपकी राह मे रहेगे। बस आपकी मेहनत, लगन व एकाग्रता आवश्यक होगी।


अपना लक्ष्य निर्धारित करके ही उस सफलता की ओर बढे । ऐसा न हो कि आपकी नीति के ढुल-मुल हो जाने से असफलता ही हाथ लगे।


एक से अधिक लक्ष्य होने पर उनकी प्राथमिकता के अनुसार निश्चित करे और निष्ठा व लग्न पूर्वक हर लक्ष्य की ओर बढे ताकि सफलता मिले।


कुछ पाने के लिये कुछ खोना पडता है। वह भी किसी सीमा तक ही , जैसे एक गुहणी जब लेखिका बनती है तो उसे अपनी नींद और गप्पबाजी को त्यागना पडता है। नींद, आलस्य को त्यागकर ही अपने लक्ष्य की ओर कदम बढाये।


जीवन मे हर काम सोच समझकर अपनी शक्तिअनुसार और योग्यता के अनुसार चुने और उसे पूर्ण कर के ही दम ले। चाहे वह कितना ही मुशिकल क्यो न हो।


लक्ष्य निर्धारित मे दिग्भ्रमित न हो, जीवन मे सफलता तभी मिलती है जब कार्य योजना बद्ध तरीके से हो।


बहाने बाजी या टालते रहने की प्रवृति मनुष्य को अकर्मण्य बना देती है।समस्या का समाधान करे। घबराये नही। असफलता ही सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। निरंतर प्रयास करते रहे।


सदैव सकारात्मक विचारात्मक अपनाये, आशावादी बने, क्योकि निराशावादी विचारधारा ही व्यक्ति को कुठित कर असफलता का ओर धकेलती जाती है।


मनोवैज्ञानिक ने सिद्व किया है कि अपनी किसी भी प्रिय हॉबी को निखारकर सफलता प्राप्त करने के साथ साथ जीवन की उबकाई , नीरसता व असतुंषिट से बचा जा सकता है।


मूड नही बना है , इस बीमारी से बचे अच्छा समय मूड के कारण रूकता नही है। इस प्रकार अच्छा अवसर हाथ से निकल जाता है और पीछे रह जाता है केवल पछतावा।


अपनी सफलता को भाग्य, भ्रष्टाचार व धन की कमी जैसे कुंठित विचार लाकर अवसर को मत टालिये जुट जाये सफलता पाने की चेष्टा मे।इस प्रकार आप आत्मसम्मान से इस समाज मे जी सकते है।


इस प्रकार जुट जाइये सपूंर्ण शक्ति के साथ और पहनाये अपनी मेहनत को सफलता का जामा।

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