डा. रघुनाथ प्रसाद तिवाड़ी ‘उमंग’

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राजस्थान के सीकर जिले के खण्डेला नामक ग्राम में  स्व. मदनलाल जी तिवाड़ी एवं स्व. नारायणी देवी तिवाड़ी के आँगन में दिनांक 11 जनवरी 1936 को एक नन्हे बालक का जन्म हुआ | बालक जन्म से ही तेजस्वी था | भगवत भक्त स्व. मदनलाल जी तिवाड़ी ने अपने लाडले पुत्र का नाम रघुनाथ रखा | बाल्यकाल से ही नन्हे रघुनाथ पर माँ शारदा की विशेष कृपा रही है | प्रारंभिक शिक्षा (कक्षा तीसरी तक) अपने पैत्रिक ग्राम खण्डेला से पूरी की | कक्षा चोथी से लेकर बी.ए., एच.डी.सी., प्रो.ग्रे.डी.एड.एज्यु., एल.एल.एम्. की शिक्षा जयपुर से सम्पूर्ण की | उच्च शिक्षा के दौरान आप सरकारी सेवा में रहे तथा प्रो.ग्रे.डी.एड.एज्यु. व् हायर डीप्लोमा इन कोपरेसन राजस्थान सरकार ने अपने खर्च करवाया | दिनांक 20 अप्रेल 1956 को आपका पाणिग्रहण संस्कार राजस्थान के जयपुर जिले में फागी के मूल निवासी स्व. पण्डित गोपाल लाल जी पुरोहित (भूतपूर्व प्रधानाचार्य पारीक कोलेज, जयपुर) एवं स्व. श्रीमती श्रीमती पारीक की सुपुत्री सुश्री सुशीला के साथ संपन्न हुआ | बाल्यकाल में एक समय आपको एक महान संत का सानिध्य प्राप्त हुआ | संत ने आपमें विलक्ष्ण प्रतिभा देख कर “उमंग” उपनाम दिया | अपने उपनाम के अनुरूप ही आप जहाँ भी जाते वहाँ “उमंग” एवं खुशियाँ स्वत: ही आ जाती | समय निरंतर बीतता गया परमपिता परमात्मा ने आपके जीवन में संतान सुख भेजा | आपको पुत्र रत्न के रूप में नरेन्द्र-खगेन्द्र-अनिल प्राप्त हुए एवं कन्याधन के रूप में विजयता प्राप्त हुई | समय के साथ-साथ वंश वृक्ष फलित होता गया एवं पोत्र-पोत्री के रूप में श्री नरेन्द्र नाथ - इंदु तिवाड़ी से शोभित, मोहित एवं नेहा पुरोहित, श्री खगेन्द्र नाथ – मधुलिका तिवाड़ी से प्रियंका पारीक, रोहित एवं राधिका, श्री अनिलकिशोर – ज्योत्सना तिवाड़ी से देवांश एवं मानस प्राप्त हुए | पड्पोत्र के रूप में श्री शोभित - ऋतू तिवाड़ी से लक्ष्य एवं अंजनी, श्री मोहित – प्रीति तिवाड़ी से भास्कर प्राप्त हुए | दोहिता के रूप में श्रीमती विजयता – कृष्णकान्त पारीक से ऋषिकांत एवं वैभव प्राप्त हुए | पड़ दोहित्री के रूप में ऋषिकांत – ऋतू पारीक से आध्दा प्राप्त हुई |

आपने अपने जीवन का अधिकांश समय समाज सेवा एवं साहित्य लेखन में लगाया | आप देश के अनेकानेक सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक संस्थाओ से सबद्ध हैं | हिंदुस्तान में सक्रीय लगभग सभी पारीक संस्थाओ से आप किसी न किसी रूप में जुड़े हुए है | सन 2007 में आपकी ही प्रेरणा से महर्षि पराशर फाउंडेशन दिल्ली का गठन हुआ | आप महर्षि पराशर फाउंडेशन दिल्ली के संस्थापक ट्रस्टी भी है | आपकी क्रन्तिकारी विचारधारा का परिणाम समाज के सामने आल इंडिया पारीक महासभा दिल्ली के रूप में प्रस्तुत है | आल इंडिया पारीक महासभा दिल्ली के आप संस्थापक हैं | दोनों संस्थाओ के माध्यम से छात्रवृति के कार्यक्रम, गौशाला, छात्रावास एवं अनेकानेक पारीक भवन के निर्माण तथा संरक्षण में मदद की जाती रही है | इसके आलावा आप ट्रस्टी- अखिल भारतीय पारीक समाज चेरिटेबल ट्रस्ट, मुंबई, संरक्षक – चमत्कारेश्वर मंदिर सेवा समिति ट्रस्ट, जयपुर,  संस्थापक संरक्षक – महर्षि पराशर सेवा समिति ट्रस्ट, जीरोता खुर्द, दौसा, संस्थापक अध्यक्ष – मदनलाल नारायण देवी पारीक शोध संस्थान ट्रस्ट, जयपुर एवं संस्थापक अध्यक्ष श्रीमती सुशीला तिवाड़ी पुरस्कार सम्मान समारोह समिति, जयपुर एवं अनेकानेक संस्थाओं से जुड़े हुए है | 

आपके द्वारा रचे गए पारीक समाज के ग्रंथों ने समस्त समाज को नया जीवन प्रदान किया है | ईश्वर द्वारा प्रदत लेखन प्रतिभा का आपने सम्पूर्ण लाभ उठाया एवं समस्त पारीक समाज को लाभान्वित किया | आपकी लेखनी द्वारा रचे गए ग्रंथो में मुख्यत: 

पौराणिक एवं साहित्यिक - मंत्रद्रष्टा वेदव्यास महर्षी पराशर, पराशर गीता का तदव विवेचन (मूल एव. हिंदी अनुवाद), पराशर गीता- राजस्थानी भाषा टीका (प्रेस में), काल गणना का मान और मानव, मृत्यु एवं करणीय कर्म, गोरा बादल (खण्ड काव्य) (अ.प्र.), क्षितिज के उस पार (कविता संग्रह) (अ.प्र.), शिव शक्ति : यक्ष-यक्षिणी, गोत्र प्रवर्तक ऋषि |

एतिहासिक - केसरी सिंह गुण रासो – सम्पादन, खण्डेला क्षेत्र का सांस्कृतिक बैभव, जीवन की परछाइयां (जयपुर के अमात्य दीनाराम बोहरा व् मानजी दास सन 1778-1818), राजस्थान के स्वंत्रता आन्दोलन में पारीक समाज का योगदान |

सामाजिक - हमारी कुलदेवियाँ, पारीक :- 1- जाती का इतिहास, 2- महापुरुष, 3- भक्तमाल, 4- मदनलाल बोहरा-अभिनन्दन ग्रन्थ-सम्पादन, 5- जमुवाय माता (संक्षिप्त इतिहास) |

विधि – राजस्थान में सहकारी कानून, सहकारी निर्वाचन निर्देशिका, राजस्थान में पंचायत कानून, सहकारी सेवा नियम, पेक्स / लेम्प्स कर्मचारी सेवा नियम, सहकारी अंकेक्षण, शिक्षण-प्रशिक्षण पर लगभग एक दर्जन पुस्तकों के अतिरिक्त अनेकानेक शोध पात्र, कविता, कहानी एवं सामाजिक नाटकों का भी लेखन है |

समस्त समाज ने आपको सर आँखों पर बिठाया एवं आपको विभिन्न पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान किया | जिनमे मुख्यत:

विधावारिधि अलंकरण, डाक्टर (मानक उपाधि), बद्रीलाल सोनी स्मृति रास्ट्रीय साहित्यांचल शिखर सम्मान, राजस्थान संस्कृत आकादमी द्वारा पन्ना लाल जोशी अखिल भारतीय वेद-वेदांग पुरस्कार, राजस्थान सरकार द्वारा उत्कृष्ट संस्कृत सेवाओ के लिए राज्यस्तरीय संस्कृत दिवस पर सम्मान, श्री वैदिक संस्कृति प्रचारक संघ द्वारा राष्ट्रपति सम्मानित पद्मश्री मण्डन मिश्र सम्मान, श्री द्वारका सेवा निधि ट्रस्ट द्वारा वैद पण्डित बज्रमोहन जोशी श्रीमती मन्नी देवी जोशी साहित्य पुरस्कार, सहकारी विभाग द्वारा सहकारी अंकेक्षण पर प्रशस्ति पत्र, विरासत उत्सव में नागरिक अभिनन्दन, विधि के उत्कृष्ट लेखन पर बार एसोसिएशन, जयपुर द्वारा मुख्य न्यायाधिपति राजस्थान उच्च न्यायालय एवं राज्य के मुख्मंत्री महोदय द्वारा सम्मान एवं प्रशस्ति पत्र, ब्राहमण रत्न, पारीक :- 1- गौरव 2- मनीषी 3- श्री 4- विभूति (2) 5- कुलभुषण 6- रत्न (3), समाज कुलभूषण, विद्वत रत्न, राजस्थान गौरव, साहित्य भूषण (मानद), वरिष्ठ अधिवक्ता सम्मान, ब्राहमण शिरोमणि (2), महर्षि जयपुर महाराजा ब्रिगेडियर स्व. श्री भवानी सिंह जी द्वारा सम्मान, लाइफ टाइम अचिवमेंट पुरस्कार एवं शास्त्र पारंगत अलंकरण | विप्र फाउंडेशन राजस्थान द्वारा प्रशस्ति पत्र | संस्कृति संस्था द्वारा न्यूयार्क (अमेरिका) में भारत गौरव एवं राजस्थान ब्राहमण महासभा द्वारा साहित्य मनीश्री के अलंकरण दिए गए |

आपने अपने माता पिता की स्मृति में अपने पैत्रिक ग्राम में 28x65 फुट के हाल का निर्माण पारीक अतिथि भवन के लिए कराया है तथा सार्वजानिक उपयोग हेतु पैत्रिक माकन पर भी अतिथिगृह के निर्माण की योजना प्रगति पर है | आपने अनेकानेक संस्थाओं में पत्रम-पुष्पम के रूप में आर्थिक सहयोग भी दिया है तथा अपनी प्रकाशित पुस्तकों पर रायल्टी नहीं ली | रायल्टी की राशी प्रकाशक द्वारा किसी धार्मिक कार्य के लिए विनियोजित की जाती है |

श्रीमती सुशीला तिवाड़ी की स्मृति में जयपुर स्तिथ अपने पुराने माकन से नि:शुल्क होमियोपेथी चिकित्सालय का सञ्चालन किया जा रहा है |

आपके द्वारा किये गए मानव एवं समाज कल्याण के कार्यों को लेखनबद्ध करना किसी समुद्र के जल को कलश में भरने के सामान है | पारीक समाज आप जैसी विभूतियों को पाकर गोरवान्वित हो रहा है |

नोट: मैं सभी पाठकों को बताना चाहूँगा की आप अभी जिस वेब साईट पर यह जीवनी पढ़ रहे है उस वेब साईट पर प्रकाशित अधिकांश संग्रह श्रीमान रघुनाथ प्रसाद तिवाड़ी 'उमंग'  के द्वारा रचित ग्रंथों से लिया गया है | समाज कल्याण के लिए समस्त प्रकाशित सामग्री हमें उपलब्ध करवाने के लिए हमारी पूरी टीम उनका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार प्रकट करती है | हम श्रीमान रघुनाथ प्रसाद तिवाड़ी 'उमंग' जी को विश्वास दिलाते है की आपके द्वारा रचित ग्रंथों को हम अधिक से अधिक समाज बन्धुओ तक पहुँचाएँगे ताकि आपकी रचनाओं से चिरकाल तक नई पीढ़ी लाभान्वित हो सके |

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